नूर बाड़ी पवार हाउस के इलाक़े की टापे वाली गली में कल रात बिजली गुल गुल होने का मामला

बिजली कर्मचारी के सामने यह भीषण गर्मी एक चुनौती

समस्याओं से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं

पोल पर आग लग जाने के कारण तीन घंटे की मशक्कत के बाद चालू कर सके सप्लाई

लखनऊ। जहां एक तरफ बिजली विभाग को निजी करण करने का मामला चल रहा है वहीं दूसरी तरफ उसका विरोध भी चल रहा है अब यह ऊंट किस करवट बैठेगा अभी कुछ कहा नहीं जासकता लेकिन उपभोक्ताओं को जो परेशानियां पेश आरही हैं उसका निस्तारण कैसे हो। बिजली गुल हो जाने पर जहां उपभोक्ताओं को इस भीषण गर्मी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है वैसे ही शायद विभाग के उच्च अधिकारियों को छोड़ कर कर्मचारियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि छेत्र में आने वाली समस्या को पावर हाउस पर मौजूद कर्मचारियों को ही फेस करना पड़ता है। इस ख़बर में हम किसी की मुखालिफत या किसी की हिमायत नहीं कर रहे हैं बस जो सच्चाई है उसे दर्शाने की कोशिश कर रहें हैं।
अभी ताज़ा मामला कल रात तकरीबन 1.45 बजे का है।
नूर बाड़ी पवार स्टेशन के अधीन आने वाली टापे वाली गली में आने वाली गली जो मौलाना जाहिद की गली के नाम से मशहूर है वहां लगे एक पोल पर अचानक आग लग गई आग के शोलो को बढ़ता देख स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना नूर बाड़ी पावर हाउस पर मौजूद एक कर्मचारी को दी और उस से उस इलाक़े की सप्लाई बंद करने को कहा ताकि आग विशाल रूप न ले सके और घरों को किसी किस्म का नुक़सान न पहुंचा सके।इलाकाई लोगों की कंप्लेन के बाद किसी तरह से तीन लोग सीढ़ी लेकर उस जगह पहुंचे और मामले को समझा कि किस तरह इस परेशानी को हल किया जाए।सबसे बड़ी परेशानी जो देखने में आई वह यह थी कि बिजली कर्मचारी तो वहां पहुंच गए लेकिन इस घुप अंधेरे में काम करने के लिए उनके पास पर्याप्त सामान के नाम पर केवल एक दस्ताना,सीढ़ी, प्लास आदि के अलावा कुछ देखने को नहीं मिला जैसे एक टॉर्च होना चाहिए थी जो इस खौफनाक अंधेरे का सीना चीर कर कुछ रौशनी बिखेरती और कर्मचारियों को काम करने में आसानियां पैदा करती लेकिन वह नहीं थी इसी तरह जिस सीढ़ी का इस्तेमाल किया जरहा था वह भी इतनी ख़राब हालत में थी कि मानो अभी कुछ ही देर में टूट कर बिखर जाएगी इसी तरह के हालात अन्य क्षेत्रों में भी उत्पन्न हो जाते हैं।भीषण गर्मी का मुकाबला बस दो पक्ष ही कर रहे थे एक उपभोक्ता और दूसरे वह मर्मचारी जो गर्मी और अंधेरे में कार्य कर रहे थे। अफ़सोस की बात यह है कि इतने बड़े छेत्र को देखने के लिए नूर बाड़ी पावर हाउस में मात्र तीन लोग? सब से बड़ी परेशानी एक और थी हवा बंद पत्ता भी हिलने का नाम नहीं ले रहा था घर के मर्द तो घरों से बाहर निकल आए लेकिन घर की औरतों और बच्चों के लिए यह रात क़यामत की रात साबित हुई।इसी परेशानी और बेचैनी में सुबह के 4.35 मिनट हो गए और घंटों गुजरने के बाद लाइट आ गई। विभाग को उपभोक्ताओं की परेशानियों को दूर करने के साथ साथ कर्मचारियों की भी परेशानियों को महत्व देना चाहिए।

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