हाल ही में नय्यर मजीदी की पत्नी का हुआ है देहांत
भाभी जी घर पर है में “टिल्लू” के किरदार से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई
लखनऊ।भाभी जी घर पर हैं में कॉमेडी कर टिल्लू का किरदार निभाने वाले अपने डायलाग गुर्दे छील दूंगा,सेठ मेरी तनख्वाह मुझे दे दो से मशहूर हुए सलीम जैदी जो कि मूल रूप से राम पूर के रहने वाले हैं।आज लखनऊ में रहने वाले मशहूर शायर नय्यर मजीदी के घर शाह गंज पहुंचे।उनके लखनऊ आने की वजह नय्यर मजीदी की पत्नी का देहांत हो जाने पर नय्यर मजीदी को ताज़ीयत पेश करना था।इस ग़मज़दा माहौल में मेरी उनसे एक खास मुलाक़ात रही जिस में उन्होंने फिल्मी कैरियर के बारे में तफसील से बताया।उन्हों ने बताया कि किस तरह और किस किस के साथ फिल्मों में काम किया और फिर वह किस तरह धारावाहिक भाभी जी घर पर हैं कॉमेडी के किरदार में आए।इस मुख्तसर सी मुलाक़ात में उन्हों ने अपने बारे में काफी कुछ बताया उन्हों ने थियेटर से लेकर फिल्म इंडस्ट्री तक के सफर के बारे में तफसील से गुफ्तगू की।
उन्होंने बताया कि वह हमेशा से हास्य किरदारों के जरिए दर्शकों को हंसाना चाहते थे और टिल्लू का किरदार उनकी इस ख्वाहिश को पूरा करता है। वह बताते हैं कि 2013 में उन्होंने मुंबई में कदम रखा उससे पहले दिल्ली में थिएटर किया है एक स्ट्रगल वाली जिंदगी रही लेकिन ऊपर वाले का शुक्र है कि मुंबई जाकर जो लोग धक्के खाते हैं तो मुझे उतने धक्के नहीं खाने पड़े क्योंकि 2013 में एक फ़िल्म आयी “भाग मिल्खा भाग” फिर 2014 में अमिताब बच्चन के साथ ऐड फिर रणधीर कपूर के साथ आमिर खान के साथ काम का सिलसिला चलता रहा फिर कई फ़िल्में और मिल गई “चलो ड्राइवर” “ओ तेरी” “जग्गू की लालटेन” “दिल तो आवारा” “विक्की डोनर” “दा यूपी फ़ाइल” जैसी फिल्मे और फिर 2015 में मिल गया “भाभी जी घर पर हैं” जिसके जरिए हर घर में एक पहचान मिल गयी। वह कहते हैं एक मां-बाप नाम देते हैं और एक इंडस्ट्री नाम देती है, मां-बाप तो हर किसी को नाम देते हैं लेकिन इंडस्ट्री जल्दी किसी को नाम नहीं देती है उसके लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं शुक्र है ऊपर वाले का की मां-बाप में सलीम नाम दिया तो इंडस्ट्री में टिल्लू नाम दिया यह मेरी खुशनसीबी है। वह कहते हैं की एक कलाकार के लिए वह समय बहुत मुश्किल होता है जब उसे कोई हास्य सीन देना होता है और उसके दिल और दिमाग पर कोई गम होता है कोई हादसा उसके दिल को दुःखा रहा होता है, मेरी जिंदगी में भी कई मौका ऐसे आए जब मैं पूरी तरह से ग़म में डूबा हुआ था और मुझे कॉमेडी सीन देना पड़ा। हम जो थिएटर करते थे उसमे यह दिखाया जाता है की रील और रियल लाइफ में फर्क होता है। वह कहते हैं कि कलाकार का कोई रूप नहीं होता उसके कई रूप होते हैं और उसे हर रूप को बखूबी निभाना पड़ता। ओटीटी चैनलों पर वेब सीरीज़ में परोसी जाने वाली अश्लीलता पर वह कहते हैं कि अगर इस तरह के अश्लील वेब सीरीज लोग देखना बंद कर दें तो ऐसी अश्लील वेब सीरीज बनना भी बंद हो जाएगी इसके लिए आम जनता को जागरूक होना पड़ेगा और इसका बायकाट करना होगा क्योंकि ऐसी वेब सीरीज बनाने वाले को दिख रहा है कि ऐसी वेब सीरीज बनाने से थिएटर भर जाते हैं और मेरी खूब कमाई होती है जाहिर सी बात है वह पैसा कमाने निकले हैं। उन्होंने लखनऊ के प्रति अपनी आत्मीयता जताई और कहा कि यह शहर उनके दिल के बहुत करीब है। सलीम जैदी की यह मुलाकात न केवल उनके प्रशंसकों के लिए प्रेरणादायक रही बल्कि यह भी दर्शाती है कि वह अपनी जड़ों और रिश्तों को कितना महत्व देते हैं।
हालांकि उनकी वापसी की फ्लैट दो बजे की थी वक्त की कमी को देखते हुए दोबारा मुलाक़ात होने का वादा कर वह मुंबई के लिए निकल गए।