एक मुखलिस शख्सियत से दुनिया हुई ख़ाली हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है। बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।। मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोस। यूं तो दुनियां में सभी आए हैं मरने के लिए।। तहरीर_( शेख साजिद हुसैन) इस दार ए फ़ानी को अलविदा कहने वालों में मरहूम जलीस अहमद हमीदी भी अपना नाम दर्ज करा के 11 जून 2025 को रुखसत हो गए..उन्होनें अपनी जिंदगी के सफर की शुरुआत 25 मई 1932 को बदायूं शहर से शुरू की थी। कहते हैं कि इस दुनिया में हर कोई अपनी आखिरी मंजिल के लिए