बिजली दरों में 30% तक वृद्धि की ख़बर ने बढ़ाई जनता में बेचैनी

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा यह निजी करण से पहले निजी घरानों की मदद के लिए किया जा रहा है

 

(UPPCL) ने स्पष्ट किया प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले नियामक आयोग सार्वजनिक सुनवाई करेगा

 

लखनऊ,बिजली दरों में 30% तक वृद्धि होगी यह ख़बर सामने आते ही आम जनता में बेचैनी देखने को मिली इस खबर ने बड़े व्यापारी को भी सोच में डाल दिया। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के समक्ष बिजली दरों में 30% तक की वृद्धि का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का उद्देश्य ₹19,600 करोड़ के भारी-भरकम राजस्व घाटे को पूरा करना बताया गया है, मगर यह वृद्धि उपभोक्ताओं के लिए चिंता का कारण बन गई।UPPCL के अनुसार, यह वृद्धि बिजली उत्पादन, वितरण और रखरखाव की बढ़ती लागत को देखते हुए जरूरी है। कॉरपोरेशन ने दावा किया कि कोयले की कीमतों में वृद्धि, बिजली उत्पादन इकाइयों की मरम्मत और नए बुनियादी ढांचे के विकास ने उनके वित्तीय बोझ को बढ़ा दिया है।UPPCL ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले नियामक आयोग सार्वजनिक सुनवाई करेगा, जिसमें उपभोक्ताओं और हितधारकों के सुझाव लिए जाएंगे। यह सुनवाई जून के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखा जाए और कोई भी निर्णय संतुलित हो।

उधर संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब किसी प्रांत में पावर कारपोरेशन ने अपने ए आर आर को चार दिन के अंदर पुनरीक्षित कर घाटा बढ़ा चढ़ा कर नई ए आर आर दाखिल की है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सब निजीकरण से पहले निजी घरानों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। आगरा में भी निजीकरण के पहले ए टी एंड सी हानियां 54% बताई गई थी जो वास्तव में 40% के नीचे थी। इसका दुष्परिणाम यह है कि आज भी आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5.55 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04. 36 रु प्रति यूनिट में दे रही है और 274 करोड रुपए का सालाना नुकसान उठा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को सार्वजनिक तौर पर यह बताना चाहिए कि महज चार दिन पहले नियामक आयोग को सौंप गए ए आर आर में 9206 करोड रुपए के घाटे की बात कही गई थी और कल अचानक ए आर आर को बदल कर 19600 करोड रुपए का घाटा दिखाया गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन यह भी सार्वजनिक करें कि निजीकरण के बाद सरकार सब्सिडी देगी या नहीं देगी क्योंकि उनके द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में बार-बार सब्सिडी का उल्लेख किया गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा कल जारी किए गए सारे आंकड़े भ्रामक हैं और जानबूझकर तोड़ मरोड़ कर रखे गए हैं। घाटा बढ़ाकर दिखाने का मकसद केवल निजी घरानों की मदद करना है। संघर्ष समिति इन आंकड़ों पर कल विस्तृत वक्तव्य देगी।

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