रावण सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि तमाम बुराइयों का प्रतीक है, जिसका हर दशहरे पर वध किया जाता है। आज के दौर में हमारे समाज में तमाम बुराइयां हैं जिनका वध बहुत जरूरी है। एक नजर कलयुग के 10 रावणों पर :
बलात्कार
देश में हर रोज बलात्कार की 106 घटनाएं होती हैं, जिनमें हर चौथी पीड़िता नाबालिग बालिका होती है। ये डराने वाले आंकड़े बताते हैं कि हम इनसान से शैतान होते जा रहे हैं। कलियुग में इस बुराई रूपी रावण का वध करने के लिए हमें ही पहल करनी होगी।.
गंदगी
स्वच्छता को लेकर व्यापक स्तर पर अभियान चलाने के बावजूद गंदगी से हमारा पीछा नहीं छूट रहा है। इसके लिए जिम्मेदार भी हम ही हैं। देश में हर रोज एक लाख मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है।.
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हम नेताओं को बुरा-भला कहते रहते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 45 फीसदी भारतीयों ने अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत का सहारा लिया।.
प्रदूषण
दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं। प्रदूषक कण पीएम 2.5 का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। इस दशहरे हमें इस रावण को हर हाल में खत्म करना होगा।.
अशिक्षा
अगर समाज शिक्षित नहीं होगा तो उसका विकास भी नहीं होगा। वर्तमान में भारत में 25 फीसदी लोग शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करके ही बेहतर समाज की नींव रखी जा सकती है।.
गरीबी
गरीबी रूपी अभिशाप से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है। भारत की 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बसर करने को मजबूर है। हम इस रावण को रोजगार रूपी हथियार से ही खत्म कर पाएंगे।
अंधविश्वास : आज भी जादू-टोने पर विश्वास
हम भले ही 21वीं सदी में पहुंच गए हैं, लेकिन अंधविश्वास रूपी रावण का अंत नहीं हो पाया है। हाल ही में 14 बाबा ब्लैकलिस्ट हो चुके हैं। फिर भी लोगों का जादू-टोने की शरण में जाना बंद नहीं हुआ है।