लखनऊ बदल गया है लेकिन लखनऊ का मेआर नहीं बदला

आज भी लखनऊ की गंगा जमनी तहज़ीब उसी तरह जिंदा है

मोहम्मद अली शाह के वंशज नवाब सय्यद मोहम्मद असद ने कई धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं को गर्मी से बचाओ के लिए कुलर लगवाए

लखनऊ, शनिवार को अवध के शहंशाह मोहम्मद अली शाह के वंशज और नवाब सैयद मोहम्मद असद (वारिस-ए-तख़्त-ओ-ताज, खानदान-ए-अवध) ने लखनऊ की मशहूर गंगा-जमुनी तहज़ीब को ज़िंदा रखते हुए इंसानियत और भाईचारे की एक शानदार मिसाल पेश की। नवाब साहब ने लखनऊ के 10 प्रमुख धार्मिक स्थलों पर कपसुन कूलर लगवाकर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भीषण गर्मी से राहत पहुंचाई। यह नेक पहल सिर्फ मुस्लिम इबादतगाहों तक सीमित नहीं रही,बल्कि हिंदू मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों को भी शामिल किया गया—जिससे साफ़ जाहिर होता है कि नवाब साहब के लिए इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब है। इन स्थानों पर लगाए गए कुलर जैसे ऐतिहासिक बड़ा इमामबाड़ा/छोटा इमामबाड़ा/जामा मस्जिद/प्राचीन लेटे हुए हनुमान मंदिर/श्री राम नंदिया मंदिर/श्री गायत्री शक्तिपीठ/श्री कोणेश्वर महादेव प्रबंधक समिति/श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट/अलीगंज हनुमान मंदिर/श्री वैष्णव समरसता पंच मंड/ संत समाज।इस सेवा कार्य को नवाब सैयद मोहम्मद असद ने स्वयं अपनी निगरानी में पूरा करवाया। उन्होंने अपने बड़े भाई आरिफ़ जैदी उर्फी जैदी (डिस्ट्रीब्यूटर, M14 TENT बाज़ार) और कप सुन कुलर की टीम का विशेष धन्यवाद अदा किया।उन्होंने यह भी बताया कि अगली पहल के तहत लखनऊ के प्रमुख गुरुद्वारों में भी ऐसे कूलर लगाए जाएंगे ताकि सिख समुदाय भी इससे लाभान्वित हो सके।नवाब की यह दरियादिली इस बात का सबूत है कि लखनऊ की तहज़ीब सिर्फ एक इतिहास नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है—जिसे उनका खानदान सदियों से निभाता आ रहा है। हमारी तहज़ीब हमें सिखाती है कि इंसानियत सबसे बड़ा मज़हब है,और यही लखनऊ की असली पहचान है।नवाब सैयद मोहम्मद असद

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