हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए
आंधियों में जलाए हैं मैंने दिए।
अटल जी के अंतिम संस्कार स्थल के बिल्कुल करीब बड़े-बड़े अक्षरों में होर्डिंग पर लिखी गई यह पंक्तियां भाजपा में अटल जी को देखते-सुनते बड़ी हुई पीढ़ी के लिए अटल दर्शन की तरह हैं। भाजपा नेता प्रभात झा ने कहा जैसे हम दीन दयाल उपाध्याय दर्शन की बात करते थे वैसे ही अटल दर्शन हम सबके लिए प्रेरणा होगा। अंतिम विदाई देने पहुंचे भाजपा नेता, विरोधी दलों के नेता या आम जन हर कोई अटल जी के जीवन वृत्त को मानों अपने तरीके से लिखना चाहता था। लेकिन साझा बात यही थी कि एक बड़े दिल का संजीदा इंसान चला गया। हर किसी के पास अटल जी की अपनी कहानी थी।
जय श्री राम का उद्घोष भी हुआ
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अटल जी को याद करके भावुक हुईं तो फारुख ने कहा कि एक बड़े कद का इंसान चला गया। किसी को कश्मीरियत की याद आई तो किसी को अटल जी जम्हूरियत का असली प्रतीक नजर आते थे। लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए अपने अटल राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता भी थे। शायद इसीलिए अटल बिहारी बाजपेयी अमर रहें के नारों के बीच-बीच में जय श्री राम का उद्घोष भी अटल जी के आखिरी सफर में गुंजायमान होता रहा।
किसी भी बहाने विराट व्यक्त्तिव की चर्चा
अटल जी की विराट शख्सियत के लिए तुलना का कोई भी मौका कार्यकर्ता भला क्यों छोड़े। जब चिता सज रही थी उसी वक्त बूंदों की फुहार से लगा शायद प्रकृति भी इम्तहान लेगी। लेकिन पार्थिव शरीर अग्नि के हवाले हुआ तो सबके मुख पर चुनौती से उबरने का भाव साफ दिखा। भाजपा के एक नेता ने कहा कि अटल जी की शख्सियत ऐसी ही थी। बाधाएं आती हैं आएं। वे बस आगे बढ़ते रहे। कोई बाधा उनके विराट व्यक्त्तिव के आगे कभी नहीं टिकी। लेकिन बारिश की बूंदे शायद उनके सम्मान के लिए थीं।
मंत्री ले रहे थे तैयारियों का जायजा
अंतिम संस्कार स्थल पर सुबह से तैयारी चल रही थी। दोपहर करीब एक बजे तैयारियों का जायजा लेने के लिए मोदी सरकार के कई मंत्री वहां पहुंच गए। कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी अंतिम संसकर स्थल के हर कोने में घूमकर एक-एक तैयारी का ब्योरा ले रही थीं। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन और नरेंद्र तोमर भी वहीं जमे हुए थे। सुबह अंतिम संस्कार स्थल के ऊपर टिनशेड की छाया बनाने काम तेजी से चल रहा था लेकिन निर्माण में देरी को देखते हुए बाद में इसे रोक दिया गया।
नरसिंह राव के करीब अंतिम संस्कार स्थल
अटल जी के अंतिम संस्कार स्थल के कुछ ही दूरी पर उनके परम मित्र रहे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव का अंतिम संस्कार स्थल उसी स्मृति स्थल परिसर में है। उनके ठीक बगल में शंकर दयाल शर्मा और पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण की अंतिम संस्कार स्थली है।