अब नहीं दिखेगा बुढ़ापे का असर

अब नहीं दिखेगा बुढ़ापे का असर

आदमी अपनी जवानी बरकरार रखने के लिए सौ-सौ जतन करता है। मगर उम्र का असर हर हाल में नजर आने लगता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबायोटिक दवा बनाने का दावा किया है, जिसकी मदद से उम्र का असर कम किया जा सकता है।

यह अध्‍ययन यूनीवर्सिटी ऑफ अल्‍बामा के शोधकर्ताओं ने किया है। चूहों पर किए अध्‍ययन में विशेषज्ञ न सिर्फ झुर्रियां दूर करने में सफल रहे, बल्‍कि बालों की सफेदी भी कम करने में कामयाबी मिली। बर्मिंघम स्‍थित यूनीवर्सिटी ऑफ अलबामा में शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक खास तरह की एंटीबायोटिक दवा बनाकर उसका चूहों पर परीक्षण किया। इस दवा के जरिये उन्होंने चूहों की कोशिकाओं में मौजूद माइटाकॉन्ड्रिया में बदलाव किया।

सेल के पावर हाउस में किया बदलाव
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोशिकाओं का पावर हाउस कहा जाने वाला माइटोकॉन्ड्रिया का सामान्य कामकाज प्रभावित होने लगता है। जीवित रहने के लिए जरूरी 90 फीसदी ऊर्जा कोशिकाओं का निर्माण माइटोकॉन्ड्रिया करता है। इसलिए उसके असामान्य काम करने से उम्र से जुड़ी बीमारियां इनसान को अपना शिकार बनाने लगती हैं। इसमें हृयद संबंधी और कैंसर जैसी बीमारियों का नाम लिया जा सकता है।

अध्‍ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहों को भोजन में मिलाकर डॉक्‍सीसाइक्‍लीन एंटीबायोटिक दवाएं दीं जिससे ऐसे एंजाइम प्रभावित हुए जो माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए की प्रतिकृति बनाने में मदद करते हैं। इससे कोशिकाओं को मिलने वाली ऊर्जा की आपूर्ति बाधित हुई। चार हफ्तों तक डॉक्‍सीसाइक्‍लीन की डोज देने के बाद चूहों में झुर्रियां दिखने लगीं और बाल सफेद होने लगे। उनमें उम्र से संबंधी शिथिलता और थकावट भी देखने को मिली। इस असर को उन्होंने डॉक्‍सीसाइक्‍लीन दवाएं एक महीने तक बंद करके पलटने का दावा किया है।

 

उम्र से जुड़ी बीमारियों पर शोध में मिलेगी मदद
प्रमुख शोधकर्ता और यूएबी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन में जेनेटिक्‍स विभाग के प्रोफेसर केशव सिंह का कहना है कि इस शोध से भविष्‍य में उम्र से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मदद मिलने की उम्मीद है। यह अध्‍ययन सेल बायोलॉजी में प्रकाशित हो चुका है।

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