राजेश नायक ने सात मार्च को अरुण नाग का घर अपने नाम पर करवाया था। ठीक एक सप्ताह के बाद ही अरुण नाग की हत्या करा दी गई। अरुण नाग और अरुण साहू के बीच के विवाद का फायदा उठाकर राजेश नायक इससे बचना चाहता था। राजेश ने ऐसी चाल चली थी कि हत्या के मामले में उसका नाम न आकर अरुण साहू फंस जाए।
पुलिस ने अरुण नाग के घर की कागजात जांच की तब पता चला कि घर राजेश नायक ने घर अपने नाम पर करा लिया था। arun नाग के घरवालों ने म्युटेशन रद्द करने के लिए आवेदन दिया है।
अरुण नाग की हत्या होने के बाद पुलिस ने चुटिया इलाके में छापेमारी अभियान चलाया था। कई दिनों तक छापेमारी के बाद पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करने में सफल नहीं हुई थी। हालांकि दबिश बढ़ने के बाद अरुण साहु और संजू साहु ने कोर्ट में सरेंडर किया था। पुलिस ने दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की पर दोनों ने हत्या करवाने की बात नहीं स्वीकारी। दोनों ने कहा था कि अरुण नाग से उनका कोई विवाद नहीं था। उन्हें केस में फंसाया गया है।
पुलिस की जांच में यह पता चला है कि राजेश नायक ने नामकुम में 90 डिसमिल जमीन बेची थी। जमीन बेचने के बाद राजेश ने अरुण नाग को कोई पैसा नहीं दिया। राजेश ने धोखे से अरुण का घर भी अपने नाम करा उसे ढाई करोड़ रुपए में बेच दिया था। अरुण नाग के पांच करोड़ रुपए राजेश नायक के पास थे, इस वजह से राजेश ने अरुण की हत्या करा दी, ताकि यह पैसा उसे देना न पड़े। हत्या के बाद राजेश नायक ने ही पांच लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अरुण की मौत के बाद राजेश नायक रांची में होने के बाद भी वह अरुण नाग के घर नहीं गया। दो दिन के बाद राजेश अरुण के घर पहुंचा और अरुण साहु, संजू साहु, अंजन मेहता, रूबी मेहता, केशरी देवी को आरोपी बना प्राथमिकी दर्ज करा दी थी।
चुटिया थाना क्षेत्र के पावर हाउस के समीप रहने वाले रिटायर्ड कर्मचारी अरुण नाग की हत्या पांच करोड़ रुपए के लिए हुई थी। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि अरुण नाग की हत्या के पीछे नामकुम निवासी राजेश नायक का हाथ है। अरुण नाग के पास जितनी जमीन थी उसकी पावर ऑफ एटॉर्नी राजेश नायक ने लिया था। राजेश नायक को पुलिस पकड़ने उसके घर गई तो वह फरार मिला। पुलिस को सूचना मिली है कि राजेश हरियाणा में अपने रिश्तेदार के यहां है। पुलिस की एक टीम जल्द ही हरियाणा जाएगी।