इस घटना को लेकर फिलहाल दो लोग जिनकी पहचान एनजीओ के मालिक मनीष दयाल और कॉर्डिनेटर चिरांतन कुमार के तौर पर हुई है उन्हें तथ्यों को छिपाने और लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आश्रय गृह में नहीं चल रहा था सबकुछ ठीक ठाक
इस साल मई के महीने से तीन मंजिला इमारत में चलाया जा रहा यह आश्रय गृह अब कई गलत कारणों के चलते सुर्खियों में बना हुआ है। पड़ोसी और स्थानीय लोगों ने मीडिया के सामने इसके ऊपर गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है। जिससे इन बातों के संकेत मिलते हैं इस आश्रय गृह में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा था।
आधी रात लड़कियो को ले जाया जाता था बाहर
एक पड़ोसी ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया- “हम बराबर देखते थे कि आश्रय गृह के सामने आधी रात और तड़के एसयूवी आकर खड़ी रहती थी। कई बार हमने देखा कि आश्रय गृह की लड़कियों को देर रात कार में बिठाकर बाहर ले जाया जाता था और तड़के उसे वापस लाकर छोड़ दिया जाता था।”
रात को आश्रय गृह से आती थी चीखने की आवाज
एक अन्य पड़ोसी ने बताया कि वह वे यहां पर जोर की चिल्लाहट या फिर चीखने की आवाज सुनते थे जिससे ऐसा लगता था कि उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है। आश्रय गृह के बिल्कुल विपरीत में रहनेवाले एक शख्स ने बताया- “अधिकारी प्राय: स्थानीय लोगों से दूर रखते थे और कभी उन्हें मिलने की इजाजत नहीं देते थे।”
कुछ दिन पहले ही चार महिलाओं ने वहां के भागने का प्रयास किया था लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो पायी क्योंकि वहां पर गार्ड ने उन्हें भागते हुए पकड़ लिया। कई कारणों के चलते एनजीओ के अधिकारियों ने पुलिस की इस घटना की कोई सूचना नहीं दी।