यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के साक्षात्कार ( UPSC Civil Services Interview or upsc civil services personality test ) में कई बार ऐसे सवाल पूछ लेते हैं जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होता है। लेकिन वो सवाल आपकी रोजमर्रा और प्रोफेशनल जिंदगी से जुड़े होते हैं, आप उन पर गौर नहीं करते। यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान ज्यादातर प्रश्न आपके DFA (detailed application form) और ऑप्शनल सब्जेक्ट को ध्यान में रखकर ही पूछे जाते हैं। उत्तर प्रदेश में जौनपुर के रहने वाले सूरज कुमार राय से इस बार ऐसा ही एक प्रश्न पूछा गया। सिविल सेवा परीक्षा 2017 में 117वीं रैंक हासिल करने वाले सूरज से पूछा गया कि – लीडर और मैनेजर में क्या फर्क होता है।
यहां पढ़ें इस प्रश्न का उत्तर सूरज की ज़ुबानी
”दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी (वर्तमान में यूपीएससी के सदस्य हैं) का बोर्ड था। रैपिड फायर के दौरान मुझसे पूछा गया कि लीडर और मैनजर में क्या फर्क होता है। तो इसका प्रश्न का उत्तर दिया कि Leader does the righ thing, and Manager does the thing rightly. (यानी लीडर सही चीज़ करता है जबकि मैनेजर चीज़ को सही तरीके से करता है।)
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में मेरा ऑप्शनल सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में यह सब भी पढ़ाया जाता है, तो मुझे याद था।
मुझे बोला गया – अपने उत्तर को स्पष्ट करें। तो मैंने कहा कि दोनों का काम एक दूसरे से काफी मिलता जुलता होता है लेकिन लीडर दिशा दिखाता है, एक मार्गदर्शक के तौर पर काम करता है, वह अपने फोलोवर्स को प्रेरित करता है और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करता है। उन पर अपना प्रभाव छोड़ता है।
और जो मैनेजर होता है कि उसका काम थोड़ा था डिटेल्ड होता है। वह कभी-कभी छोटे-छोटे काम भी करता है। योजना भी बनाता है और आयोजन भी करता है। लक्ष्य को दिशा देता है। व्यवस्था में प्रबंधन व समन्वय स्थापित करता है।
मुझसे पूछा गया तुम क्या बनना चाहोगे, लीडर या मैनेजर? मैने उत्तर दिया कि मैं एडमिनिस्ट्रेटर बनना चाहूंगा।’
इसके बाद मुझसे पूछा गया कि भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में आप क्या सोचते हैं? स्कूली शिक्षा के दौरान बच्चों पर जरूरत से ज्यादा बोझ होता है और ग्रेजुएशन के दौरान उनमें उतनी भी गंभीरता नहीं दिखती जितनी आवश्यक है।
इस सवाल के उत्तर में मैंने तीन-चार सुधारों का सुझाव दिया। मेरे इंटरव्यू के दिन से कुछ दिन पहले ऐसी खबर आई थी कि एनसीईआरटी का सिलेबस आधा कर दिया जाएगा। मैंने इस खबर का जिक्र किया। फिर कॉलेज के लिए मैंने विषय के अनुसार ही एप्टीट्यूड बेस्ड एंट्रेंस की बात की ताकि विद्यार्थी की दिलचस्पी देखी जा सके। कोर्स के दौरान उसका भी पढ़ने का मन करेगा।
उसके बाद मुझसे कौटिल्य के बारे में भी पूछा क्योंकि पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मेरा सब्जेक्ट था। मुझसे पूछा गया कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र की वर्तमान में क्या प्रासंगिकता है। मैंने बताया कि कैसे उनकी थ्योरी विदेशी नीति में काम आ सकती है। इंटेलिजेंस में भी उसका काफी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत अफगानिस्तान और वियतनाम में जो कर रहा है वो कौटिल्य की एक थ्योरी का उदाहरण है।