होटल-रेस्तरां के बिल में 10 फीसदी की छूट की पेशकश भला कौन ठुकराएगा। लेकिन थाईलैंड के ‘डेथ कैफे’ का स्टाफ जैसे ही छूट का नाम लेता है, वहां चाय की चुस्की ले रहे ग्राहकों के पसीने छूट जाते हैं। छूट के लिए ‘ताबूत’ में 3 मिनट तक मौत से जूझने की शर्त को पार करने की दहशत इसकी मुख्य वजह है।
‘डेथ कैफे’ बैंकॉक स्थित सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी में बौद्ध धर्म और निर्वाण पर शोध कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसर वीरानुत रोजनप्रपा के दिमाग की उपज है। इसका मकसद लोगों को मौत का अनुभव दिलाकर उनमें लालच, मोह-माया और स्वार्थ की भावना का अंत करना है।
वीरानुत बताते हैं कि ‘डेथ कैफे’ में हर टेबल के नीचे लकड़ी का ताबूत बनाया गया है। बिल पेश करने पर जब कोई ग्राहक 10 फीसदी छूट का ऑफर स्वीकार करता है तो एक बटन दबाते ही ताबूत बाहर आ जाता है। ग्राहक को जूते उतारकर ताबूत में लेटने को कहा जाता है। इसके बाद ताबूत के दरवाजे तीन मिनट के लिए बंद हो जाते हैं। उसके अंदर न तो रोशनी और न ही हवा का नामोनिशान होता है। व्यक्ति को लगता है कि उसका दम घुट रहा है। अब जिंदगी में कुछ भी नहीं बचा है।
वीरानुत की मानें तो ज्यादातर ग्राहक ताबूत में जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। और जो इसके लिए तैयार होते हैं, वे ताबूत से पसीने लथपथ और कांपते हुए बाहर निकलते हैं। उन्होंने बताया कि कई ग्राहक बिल में 10 फीसदी की छूट को मौत की दहशत को करीब से महसूस करने के लिए काफी नहीं मानते। ऐसे ग्राहकों को कैफे मुफ्त में पसंदीदा मिठाई या केक देने की पेशकश करता है।