देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) इस समय खुद ही भ्रष्टाचार के मामले को लेकर घिर गई है। इस मामले में सीबीआई चीफ आलोक वर्मा (CBI Chief Alok Verma ) और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) को छुट्टी पर भेज दिया है। आइए जानते हैं कि किन वजहों से जांच एजेंसी के दो शीर्ष अफसरों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई और इस पूरे प्रकरण में कौन से अहम किरदार हैं।
आलोक वर्मा
केंद्र शासित काडर के 1979 बैच के आईपीएस अफसर हैं। वह 1 फरवरी 2017 से सीबीआई प्रमुख हैं। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की है। इससे पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने दावा किया कि सना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये दिए थे जिससे वह मोइन कुरैशी केस में बच जाए।
राकेश अस्थाना
गुजरात काडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर इस समय सीबीआई के विशेष निदेशक हैं। जेएनयू के छात्र रहे अस्थाना ने चर्चित चारा घोटाला और गोधरा ट्रेन में आगजनी मामलों की जांच की थी। स्टर्लिंग बायोटेक में कथित भूमिका के लिए एक याचिका भी दाखिल की गई थी। सीबीआई प्रमुख ने आरोप लगाए गए थे कि उन्हें 3.8 करोड़ रुपये घूस के तौर पर मिले थे।
एके शर्मा
गुजरात काडर के 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं। संयुक्त निदेशक के तौर पर वह 2015 में सीबीआई में आए। इस साल की शुरुआत में वर्मा के द्वारा उन्हें पदोन्नति देकर अतिरिक्त निदेशक बना दिया गया। इसके साथ ही अस्थाना द्वारा देखे जा रहे सभी मामलों को उन्हें दे दिए गए। वह कथिततौर पर ज्यादातर मामलों में वर्मा को सलाह देते हैं।
देवेंद्र कुमार
सीबीआई में डीएसपी देवेंद्र कुमार को सोमवार को एजेंसी ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसमें अस्थाना पर भी आरोप लगा है। वह मोईन कुरैशी के खिलाफ केस में जांच अधिकारी थे। सीबीआई ने दावा किया है कि उन्होंने सना का फर्जी बयान तैयार किया, जिसने केस में राहत के लिए घूस देने का आरोप लगाया था।
मोइन कुरैशी
दून स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की। यूपी के रामपुर में एक बूचड़खाना खोला और आगे चलकर भारत के सबसे बड़े मांस निर्यातक बन गए। आरोप है कि वहे पूर्व सीबीआई प्रमुखों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा के काफी करीबी थे। एजेंसियां उनके खिलाफ कथित कर चोरी, लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की जांच कर रही हैं। 2011 में अपनी बेटी की शादी में कुरैशी ने जानेमाने पाक गायक राहत फतेह अली खान को बुलाया था।
सतीश बाबू सना
हैदराबाद के उद्योगपति हैं। एक समय वह आंध्र प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे। नौकरी छोड़कर उन्होंने कई कंपनियों में काम किया। उन्हें तमाम पार्टियों से जुड़े बड़े नेताओं का करीबी भी माना जाता है। 2 015 में मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ एक ईडी केस में सबसे पहले उनका नाम सामने आया। अस्थाना की टीम ने केस की जांच की थी।
मनोज और सोमेश प्रसाद
मनोज दुबई से काम करने वाला बिचौलिया है, जिसे सीबीआई ने पकड़ा है। उसे निवेशक बैंकर कहा जाता है और अपने भाई सोमेश के साथ वह कई दूसरे उद्योगों से भी जुड़ा है। दोनों का नाता यूपी से है और एक दशक से विदेश में हैं। दुबई आने से पहले सोमेश लंदन गया था। सना ने दावा किया है कि मनोज ने उसका नाम हटवाने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे, जो अस्थाना को दिया जाना था।
शीर्ष अधिकारियों के बीच ऐसे बढ़ती गई तकरार
– सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच तकरार अक्तूबर 2017 में शुरू हुई।
– उस समय वर्मा ने सीवीसी के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय पैनल की बैठक में अस्थाना को विदेश निदेशक बनाए जाने पर आपत्ति जताई।
– वर्मा का मानना था कि अधिकारियों के इंडक्शन को लेकर उनके द्वारा की गई सिफारिश को अस्थाना ने बिगाड़ दिया।
– वर्मा ने यह भी आरोप लगाया था कि स्टर्लिंग बायोटेक घोटाले में अस्थाना की भूमिका के कारण सीबीआई भी घेरे में आ गई।
– हालांकि पैनल ने आपत्ति को खारिज करते हुए अस्थाना को पदोन्नत कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अस्थाना को क्लिन चिट दे दी।
सीवीसी को वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार की जानकारी दी
– 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी और कैबिनेट सचिव को लिखा, जिसमें वर्मा, उनके करीबी अतिरिक्त निदेशक एके शर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की जानकारी दी।
– अस्थाना ने यह भी बताया कि कैसे कई आरोपियों को बचाने की कोशिश हुई। अस्थाना ने दावा किया कि सना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये दिए थे जिससे वह कुरैशी केस में बच जाए।
– पिछले हफ्ते अस्थाना ने फिर से सीवीसी और कैबिनेट सचिव को लिखा और कहा कि वह पिछले महीने सना को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन वर्मा ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
– अस्थाना ने यह भी दावा किया कि फरवरी में जब उनकी टीम ने सना से पूछताछ की कोशिश की थी, तो वर्मा ने फोन कर रोक दिया।