गूगल ने बनाया खास डूडल, इस अंदाज में किया विश

आज यानि 5 सितंबर को पूरे देश में टीचर्स डे मनाया जा रहा है। भारत में हर साल इस दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर गूगल ने एनिमेटेड डूडल बनाकर सेलिब्रेट किया है। गूगल ने अपने डूडल में G को ग्लोब के शेप में बनाया है जो घूमकर कर टीचर का रूप ले लेता है और फिर कई रंग-बिरंगे बुलबुले निकलते है, जिसमें मैथ्स से लेकर केमिस्ट्री और स्पोर्ट्स से लेकर म्यूजिक को दर्शाते हैं। गूगल ने यह डूडल बनाकर यह बताने की कोशिश की है कि शिक्षक हमारी जिंदगी में क्या मायने रखते हैं। ये दिन अपने गुरुओं और शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करने के लिए होता है।

आज यानि 5 सितंबर को पूरे देश में टीचर्स डे मनाया जा रहा है। भारत में हर साल इस दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर गूगल ने एनिमेटेड डूडल बनाकर सेलिब्रेट किया है। गूगल ने अपने डूडल में G को ग्लोब के शेप में बनाया है जो घूमकर कर टीचर का रूप ले लेता है और फिर कई रंग-बिरंगे बुलबुले निकलते है, जिसमें मैथ्स से लेकर केमिस्ट्री और स्पोर्ट्स से लेकर म्यूजिक को दर्शाते हैं। गूगल ने यह डूडल बनाकर यह बताने की कोशिश की है कि शिक्षक हमारी जिंदगी में क्या मायने रखते हैं। ये दिन अपने गुरुओं और शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करने के लिए होता है।

इसलिए मनाया जाता है टीचर्स डे-
भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। राधाकृषणन एक विद्वान और दार्शनिक होने के साथ-साथ एक महान शिक्षक भी थे। राधाकृष्णन जब राष्ट्रपति बने थे तो लोगों ने 5 सितंबर को राधाकृष्णन दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया, लेकिन ये राधाकृष्णन जी को पसंद नहीं आया और उन्होंने इस दिन को टीचर्स डे के तौर मनाने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद से ही हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाने लगा। 1962 में पहली बार भारत में टीचर्स डे मनाया गया।

भारत रत्न हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन-
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में 5 सितंबर 1962 को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1962 में ही उन्हें ब्रिटिश एकेडमी का सदस्य बनाया गया।  राधाकृष्णन अपने राष्ट्रप्रेम के लिए प्रसिद्ध थे। इंग्लैंड की सरकार ने उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ स्म्मान से सम्मानित किया। राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हो गया। उनके मरणोपांत 1975 में अमेरिकी सरकार ने उन्हें टेम्पल्टन पुरस्कार से सम्मानित किया। शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत उन्हें 1984 में भारत रत्न से सम्मानित किया था।

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