दाऊदी-बोहरा मुस्लिम समुदाय के एक समूह के सदस्यों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अदालतें जनहित याचिकाओं के जरिए सदियों पुरानी महिला खतना की धार्मिक परंपरा की संवैधानिकता पर फैसला नहीं करें।
समूह ने कहा कि दाऊदी-बोहरा समुदाय सहित इस्लाम के कुछ पंथों में महिला खतना की परंपरा है और इसकी वैधता की अगर जांच की जानी है तो बड़ी संविधान पीठ द्वारा ऐसा किया जाए।
दाऊदी- बोहरा मुस्लिम समुदाय की नाबालिग लड़कियों के खतना की परंपरा को चुनौती देने के लिए दिल्ली के एक वकील की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जनहित याचिका क्षेत्राधिकार के जरिए किसी धार्मिक परंपरा की वैधता की जांच नहीं की जा सकती।
सिंघवी ने पीठ से कहा कि महिला खतना और पुरुष खतना इस्लाम में एक धार्मिक परंपरा है और इसका संबंध शुद्धता के पहलू से है। इस मामले में आगे की सुनवाई 30 अगस्त को होगी।