मध्य प्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर जैसे आदिवासी बहुल जिले में इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों को असंतुष्टों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चुनाव में भाजपा ने झाबुआ-अलीराजपुर की 5 में से 4 सीटें जीत ली थीं। पर इस बार उसकी राहें इतनी आसान नहीं हैं।
मध्य प्रदेश ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से सिर्फ दो सांसदों को जीताकर भेजा। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीसरे सांसद कांतिलाल भूरिया उप चुनाव जीत कर आए। रतलाम सीट से भाजपा सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन के कारण उपचुनाव कराना पड़ा था। पर झाबुआ-रतलाम का इलाके में इससे पहले कांग्रेस की सिर्फ एक बार हार हुई थी। 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में यहां जनता पार्टी को जीत मिली थी।
भाजपा सांसद दिलीप सिंह भूरिया यहां लोगों में लोकप्रिय थे। पर उनकी बेटी निर्मला भूरिया कांग्रेस के कांतिलाल के सामने उप चुनाव में नहीं टीक सकीं। पर तीन साल में यहां हालात बदले हुए हैं। झाबुआ और अलीराजपुर जिले की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही असंतुष्ट गुटों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस सांसद पर आरोप है कि वे अपने परिवार के लिए ज्यादा काम कर रहे हैं। झाबुआ जिले के तीन और अलीराजपुर जिले की 2 सीटों में से 2 पर उनके परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। उनके बेटे विक्रांत झाबुआ से और भतीजी कलावती जोबट सीट से मैदान में हैं। नाराज पार्टी के लोगों ने सांसद भूरिया का पुतला भी लोकसभा क्षेत्र में फूंका। सांसद के बेटे विक्रांत के खिलाफ पार्टी के एक असंतुष्ट नेता ने भी ताल ठोक दी है।
भाजपा के भी कई उम्मीदवारों को असंतुष्टों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। सिर्फ पेटलावद सीट पर भाजपा की निर्मला भूरिया अपनी सीट बचा सकती हैं। पर झाबुआ जिले की थांदला सीट पर भाजपा विधायक काल सिंह भाबर को इस बार असंतुष्ट की नाराजगी झेलना पड़ रही है। उनके खिलाफ भी भाजपा का पुराना कार्यकर्ता मैदान में है। कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया कहते हैं कि जनता बदलाव के मूड में है। वहीं भाजपा को नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भरोसा है। आदिवासी बहुल झाबुआ क्षेत्र में 20 नवंबर को उनकी रैली होने वाली है।