कुछ लोगों को मीठा खाने की बहुत तीव्र इच्छा होती है। इस आदत की वजह से उन्हें कईं स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। एक व्यक्ति को दिनभर में 30 ग्राम शुगर की आवश्यकता होती है, जिससे वह पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करता है। लेकिन इससे ज्यादा शुगर का सेवन मधुमेह, मोटापे और असंतुलित रक्तचाप की समस्या पैदा कर सकता है। लेकिन आप अपनी मीठा खाने की आदत और इच्छा पर काबू पा सकते हैं। सेब के सिरके का सेवन करें एक पानी की बोतल में 1-2 चम्मच सेब का सिरके डालें। इसे धीरे-धीरे पूरे दिन में खत्म करें। जिससे आपको मीठा खाने
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भूखे होने पर क्यों आता है गुस्सा
वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि हमें भूख लगने के साथ ही साथ गुस्सा क्यों आने लगता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ऐसा जीवविज्ञान की परस्पर क्रिया, व्यक्तित्व और आसपास के माहौल की वजह से होता है। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ केरोलाइना की एक डॉक्टरल छात्रा जेनीफर मैकोर्माक ने बताया, “हम सभी जानते हैं कि भूखा महसूस करने से कभी – कभी हमारी भावनाएं और दुनिया को लेकर हमारे विचार भी प्रभावित होते हैं। हाल ही में ‘हैंगरी’ शब्द ऑक्सफोर्ड शब्दकोष ने स्वीकार किया है, जिसका मतलबा होता है कि भूख की वजह से
सेब का सिरका इस्तेमाल करने से दूर होंगी कई समस्याएं
अस्वस्थ जीवनशैली और खानपान की वजह से वर्तमान में मोटापा, त्वचा संबंधी समस्याएं और मधुमेह की बीमारी होना आम बात हो गई है। लेकिन इन समस्याओं को आप सिर्फ सेब का सिरका इस्तेमाल करके दूर कर सकते हैं और स्वस्थ जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं। सेब के सिरके में एसेटिक एसिड होता है, जो कि फैट को हटाने में मदद करता है। साथ ही ये भूख को संतुलित करता है और पाचन शक्ति मजबूत करता है। जिससे विषाक्त पदार्थ की वजह से होने वाली त्वचा संबंधी समस्याएं भी नहीं होती। तो आइए जानते हैं कि इन समस्याओं के लिए सेब
कभी-कभी झुर्रियों का होना होता है फायदेमंद
वेस्टर्न विश्वविद्यालय और मियामी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों के हंसते हुए आंखों के आसपास झुर्रियां पड़ती हैं, उन्हें दुनिया ज्यादा ईमानदार मानती है। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की झुर्रियों के साथ और बिना झुर्रियों के हंसते हुए तस्वीरों को दिखाया। जिसके बाद लोगों को बताना था कि कौन सा व्यक्ति ज्यादा ईमानदार और भरोसेमंद लगता है। तस्वीरें दिखाने के बाद पाया गया कि दिमाग अवधारणात्मक रूप से झुर्रियों वाले चेहरे को ज्यादा ईमानदार और भरोसेमंद मानता है। झुर्रियां होने का क्या कारण है… त्वचा पर होने वाली दरारें या सिलवटों को झुर्रियां कहा जाता है। आमतौर यह
विषाक्त बना सकता है रसोई का तौलिया
रसोईघर में इस्तेमाल होने वाला तौलिया भोजन को विषाक्त बना सकता है। मॉरीशस यूनिवर्सिटी केशोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के नतीजों में यह चेतावनी दी है। ई-कोलाई की मौजूदगी शोधकर्ताओं ने रसोईघर में एक महीने तक इस्तेमाल किए गए लगभग 100 तौलियों का परीक्षण करने परपाया कि ये भोजन को विषाक्त बना सकते हैं। उन्होंने कहा, इन तौलियों में ई-कोलाई जैसे हानिकारकबैक्टीरिया की मौजूदगी की संभावना ज्यादा रहती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन रसोईघरों में मांसाहारपकाए जाते हैं, उनमें रखे तौलियों में ई-कोलाई की मौजूदगी की संभावना ज्यादा होती है। ई-कोलाई आमतौर पर मनुष्यों और पशुओं की आंत में पाया जाता है। अधिकतर ये हानिरहित होते हैं, परइनमें से कुछ घातक खाद्य विषाक्तता और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। बैक्टीरिया के संक्रमण का डर शोधकर्ताओं ने कहा, रसोईघर के तौलियों का, बरतन पोछने से लेकर हाथ पोछने तक कई कामों में इस्तेमालहोता है। इससे उनके कई तरह के बैक्टीरिया या रोगाणु से दूषित होने की संभावना बढ़ जाती है। कई तरह केरोगाणुओं से दूषित तौलिया उनके प्रसार का जरिया बन सकता है। उससे हानिकारण रोगाणु भोजन तक फैलसकते हैं जिससे वह विषाक्त हो सकता है। आधे में बैक्टीरिया की बढ़त शोधकर्ताओें ने रसोईघर के तौलियों में पाए गए बैक्टीरिया को एक कृत्रिम माध्यम में पैदा किया और उनकाजीवाणु भार (बैक्टीरियल लोड) निर्धारित किया। किसी बैक्टीरिया का जीवाणु भार किसी चीज या जीव में पाईजाने वाली उनकी उस तादाद को कहते हैं जिसकी गिनती की जा सकती है। एकत्र किए गए तौलियों में से 49 फीसदी में शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया की बढ़त पाई। बैक्टीरिया की तादादपरिवार के सदस्यों की संख्या, परिवार में बच्चों की मौजूदगी और परिवार के आकार के हिसाब से बढ़ी।तौलियों के जिन नमूनों में बैक्टीरिया पाए गए थे, उनमें से 36.7 फीसदी में कोलिफॉर्म बैक्टीरिया विकसितहुए। कोलिफॉर्म वह बैक्टीरिया-समूह है जिसमें ई-कोलाई बैक्टीरिया शामिल है। बाकी 36.7 फीसदी मेंएंटरोकोकस एसपीपी और 14.3 फीसदी में स्टेफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया विकसित हुए। शोधकर्ताओं ने कहा कि ई-कोलाई और स्टेफिलोकोकस बैक्टीरिया उन तौलियों में अधिक पाए गए, जो उनरसोईघरों से आए थे जिनमें मांसाहार ज्यादा पकाया जाता था। इस शोध-अध्ययन के नतीजे अटलांटा स्थितअमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की सालाना बैठक में प्रस्तुत किए जाने हैं। सेहत मॉरीशस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध-अध्ययन में हुआ खुलासा इनमें हानिकारक बैक्टीरिया की मौजूदगी की संभावना अपेक्षाकृत ज्यादा रहती है मांसाहार पकाए जाने वाले रसोई के तौलियों में ई-कोलाई की मौजूदगी पाई गई कैसे करें बचाव रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले तौलिये को नियमित रूप से साफ करें उन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाए जाने से पहले पूरी तरह अवश्य सुखाएं कपड़े की बजाय पेपर तौलिये का इस्तेमाल बेहतर हो सकता है
50 साल में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या 300 फीसदी बढ़ी
शादी और परिवार के बारे में महिलाओं की सोच में काफी बदलावा अब गया है। अब वह अपने करियर में एक मुकाम तक पहुंचने के बाद ही शादी और परिवार की ओर ध्यान देना चाहती हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले 15 साल में 50 साल से अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या में 300 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह आंकड़े ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टक्सि ने जारी किए हैं। इसमें इंग्लैंड और वेल्स की महिलाओं के आंकड़ों को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। इन आंकड़ों की मानें तो 55
महिलाओं से ज्यादा पुरुषों के लिए खतरनाक है काम से होने वाला तनाव
ऑफिस में काम से होने वाले तनाव की वजह से हृदयघात, हृदयी संबंधी समस्या और मधुमेह का खतरा बन जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन पुरुषों को हृदय संबंधी समस्या होती है, उनके लिए काम से होने वाला तनाव ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि महिलाओं में इस खतरे का कोई प्रमाण नहीं मिला है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा 6 गुना ज्यादा खतरा होता है। लंदन विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने यूके, फ्रांस, फिनलैंड और स्वीडन के एक लाख लोगों पर अध्ययन किया। जिनमें से 3,441 लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं थी। इन
मुंह की दुर्गंध को चुटकियों में भांप लेगा सेंसर
मुंह से आ रही दुर्गंध का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक सेंसर बनाया है। यह सेंसर हेलिटोसिस का पता लगाने के साथ ही अपना रंग बदलकर यह भी बताएंगे कि दुर्गंध दूर करने के लिए माउथफ्रेशनर लेने का समय हो गया है। मुंह में खाने के बाद दांतों के बीच फंसे खाद्य पदार्थ सड़ने लगता है, जिससे मुंह में बैक्टीरिया बनने लगते हैं। यही बैक्टीरिया मुंह से दुर्गंध का कारण बनते हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि मुंह की दुर्गंध का पता लगाने के लिए यह सेंसर हाईड्रोजन सल्फाइड के प्रति संवेदनशील हैं। यही रसायनिक गंध अंडों के
पर्याप्त नींद लेने से कम होता है डिमेंशिया का खतरा
पर्याप्त नींद लेने से डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है, यह बात एक शोध में सामने आई है। शोध के मुताबिक कम सोने से डिमेंशिया और अकाल मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। यह शोध जापान में 10 साल तक किया गया था, जिसमें 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया। 1517 लोगों पर किये गए इस शोध में 294 लोग डिमेंशिया का शिकार पाए गए और 282 लोगों की अचानक मौत हो गई। शोध में बताया गया कि नींद पूरी करने से मानसिक तनाव भी कम होता है। वहीं शोध में यह भी
लंबी और खुशहाल जिंदगी चाहिए तो तेज चलें
अगर आप लंबी उम्र और सेहतमंद रहना चाहते हैं तो तेज गति से चलना शुरू करें। इससे दिल संबंधी बीमारियों से मृत्यु का खतरा कम होता है। शोध के नतीजों से पता चलता है कि औसत गति से चलने से दिल संबंधी बीमारियों की मृत्युदर में 21 फीसदी की कमी आती है और तेज गति से चलने वालों की मृत्युदर में 24 फीसदी की कमी देखी गई है। धीरे-धीरे चलने की तुलना में औसत गति से चलने से सभी तरह की मृत्युदर में 20 फीसदी की कमी आती है, जबकि तेज गति से चलने से 24 फीसदी की कमी आती