डायबिटीज से फेफड़े की बीमारी होने का खतरा ज्यादा

डायबिटीज रहित लोगों की तुलना में टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है। आरएलडी की पहचान सांस फूलने से की जाती है। जर्मनी के हेडेलबर्ग अस्पताल विश्वविद्यालय के स्टीफन कोफ ने कहा कि तेजी से सांस फूलना, आरएलडी व फेफड़ों की विसंगतियां टाइप-2 मधुमेह से जुड़ी हैं। जानवरों पर किए गए पहले के निष्कर्षों में भी रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी व डायबिटीज के बीच संबंध का पता चला था। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर पी. नवरोथ ने कहा कि हमे संदेह है कि फेफड़े की बीमारी टाइप-2 डायबिटीज का देर से

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लेना है बारिश का मजा,

बारिश का मौसम शुरू होते ही जुकाम, बुखार और पेट की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। मौसम के बदलने से इम्युनिटी पर असर होता है, जिससे फ्लू, सर्दी, बुखार, एलर्जी और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप चाहते हैं कि मानसून का मजा बरकरार रहे और सेहत भी दुरुस्त रहे, तो कुछ जड़ी-बूटियों से दोस्ती करना अच्छा रहेगा। त्रिफला यह तीन जड़ी बूटियों आंवला, बहेड़ा और हरड़ का मिश्रण है और पाचन मजबूत बनाता है। इसके अलावा आंवला में विटामिन सी काफी मात्रा में होता है। यह सर्दी जुकाम का असर कम करता है और इम्युनिटी

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ब्रेन ट्यूमर में भी कारगर मिर्गी की दवा

ग्लूकोमा, मिर्गी व हार्ट फेल्योर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा तेजी से बढ़ते दिमागी ट्यूमर के पीड़ितों के लिए सहायक हो सकती है, वह ज्यादा समय तक जी सकते हैं। दिमागी ट्यूमर को ग्लिओब्लास्टोमा के नाम से जानते हैं। शोधकतार्ओं ने पाया है कि ज्यदातर ग्लिओब्लासटोमा मरीजो में उच्च स्तर का प्रोटीन बीसीएल-3 टेमोजोलोमाइड (टीएमजेड) के फायदेमंद प्रभावों पर उदासीन व्यवहार करता है। टीएमजेड बीमारी की कीमोथेरपी के लिए अक्सर प्रयोग किया जाता है। प्रोटीन टीएमजेड से कैंसर कोशिकाओं की रक्षा करता है। यह एक बचाव करने वाले एंजाइम को सक्रिय करके कैंसर कोशिकाओं की रक्षा करता

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रहना चाहते हैं हमेशा जवां,

सोल नेशनल यूनीवर्सिटी में हुए शोध में कहा गया है कि इनसान जब तक खुद को बूढ़ा नहीं मानता, तब तक उसका दिमाग जवां रहता है। ऐसे लोगों के मस्तिष्क में ग्रे मैटर अधिक मात्रा में हो सकता है। ग्रे मैटर सुनने, भावनाओं, फैसले लेने और आत्म नियंत्रण में मददगार होता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर जीनयुंग चे ने कहा कि जो लोग खुद को जवां मानते हैं, उनकी याद्दाश्त अन्य के मुकाबले बेहतर होती है। ऐसे लोग अधिक स्वस्थ भी रहते हैं। समय से पहले खुद को उम्रदराज समझने के पीछे ग्रे मैटर में आई कमी जिम्मेदार होती है। खुद

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कैंसर के खतरे को कम करता है आम,

आम खाने के अनेकों स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक फायदे हैं। आम में पोटेशियम, मैग्निशियम और कॉपर जैसे खनिज और लवण भी प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। इतना ही नहीं आम क्वारसीटिन, बीटाकेरोटीन और एस्ट्रागालीन का भी बेहतरीन स्रोत है। इन शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट में फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। जानें इसके और भी फायदे: 1. आम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है आम में प्रचूर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी के लिए आम एक प्राकृति उपचार है, क्योंकि इसमें पोटेशियम और मैग्निशियम भारी मात्रा में पाए

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आखिर क्यों लगती है भूख?

हाइपोथैलेमस के रहस्यमय हिस्से में स्थित न्यूरॉन के एक सहायक जोड़ा भूख व शरीर के वजन को नियमित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस शोध के निष्कर्षों का प्रकाशन पत्रिका ‘साइंस’ में किया गया है। इसमें आहार लेने का नियमन करने वाली एक पहले अज्ञात रही तंत्रिका तंत्र की जानकारी दी गई है और यह चूहों में भूख लगने के बदलावों को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करती है।   चीन के शंघाई जिआओ तोंग विश्वविद्यालय के जिंगजिंग सन सहित दूसरे शोधकतार्ओं के अनुसार, हाइपोथैलेमस के क्षेत्र के कार्य की जानकारी को न्यूक्लियस ट्यूबरेलिस लेटेरेलिस (एनटीएल) कहा

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दांतों से जुड़े ये 7 मिथक पता हैं आपको

हम सभी सफेद दांत और सुंदर मुस्कुराहट की चाह रखते हैं, जिसे पाना अब हमारे लिए मुश्किल नहीं है। दंत चिकित्सकों से परामर्श करने के साथ नियमित रूप से ब्रश करने और मुंह धोने से आप आसानी से सफेद दांत पा सकते हैं। घरेलू उपचार और बाजार में मौजूद उत्पादों के कारण कई बार तथ्यों और मिथकों के बीच अंतर ढूंढना मुश्किल हो जाता है। दांत की सफाई को लेकर किसी भी प्रकार की गलतफहमी आपके मौखिक स्वच्छता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। डेंटल एक्सपर्ट ने दांतों को साफ करने से जुड़े सात काल्पनिक बातें बताई हैं जिन पर

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पेंट और वार्निश से मल्टीपल स्कलोरोसिस का खतरा

पेंट और वार्निश में मौजूद रसायन लोगों में नसों से जुड़ी विकृति मल्टीपल स्कलेरोसिस का खतरा बढ़ा सकती है। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है।  यह अध्ययन ‘ न्यूरोलॉजी  पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अनुसंधान में पाया गया कि पेंट या अन्य विलायकों (सॉल्वेंट) के संपर्क में आने वाले लोगों में ऐसे लोगों के मुकाबले मल्टीपल स्कलेरोसिस होने का खतरा 50 प्रतिशत ज्यादा बढ़ जाता है जो इसके संपर्क में बिलकुल नहीं आते। मल्टीपल स्कलेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग और रीढ़ के नसों का सुरक्षा कवच नष्ट हो जाता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है

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कई बीमारियों को ठीक करती हैं ग्रीन-टी व रेड वाइन,

ग्रीन-टी और रेडवाइन का सेवन सेहत के लिए बरदान साबित हो सकता है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार, ग्रीन-टी और रेड वाइन के सेवन से हृदयघात और हाई ब्लड पेसर समेत कुछ खास किस्म में कैंसर तक का खतरा कम हो जाता है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि ग्रीन और रेड वाइन में जो तत्व होते हैं वो शरीर में शरीर में उन जहरीले मोलक्यूल को बनने से रोकते हैं, जिनके कारण से मेंटल डिसॉर्डर की समस्या होती है। यह ताजा अध्ययन रसायन के संवाद (कॉम्युनिकेशन्स कैमिस्ट्री) नाम की मैगजीन पर प्रकाशित हुआ है, जिसमें पाया गया

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बारिश में नहीं सताएंगे कील-मुंहासे

मानसूनी बारिश मई-जून की चिलचिलाती गर्मी से तो राहत दिलाती है, लेकिन त्वचा और बालों के लिए ढेरों मुसीबत भी साथ लाती है। हवा में नमी का स्तर बढ़ने और जीवाणुओं के अधिक सक्रिय हो जाने से व्यक्ति को कील-मुंहासे, एलर्जी व बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि त्वचा रोग विशेषज्ञों की मानें तो मानसून में कुछ सावधानियां बरतकर चेहरे और बालों की चमक बरकरार रखी जा सकती है। त्वचा की रौनक बनाए रखना मुश्किल नहीं 1. तीन से चार बार चेहरा धोएं -हवा में नमी ज्यादा होने से बारिश में त्वचा तैलीय होने और रोम

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