चीन का एक युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के एक युद्धपोत के बेहद करीब पहुंच गया और उसे रास्ता बदलने के लिए मजबूर किया। अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह आरोप लगाया। अमेरिकी प्रशांत बेड़े के प्रवक्ता कमांडर नेट क्रिस्टेंसेन ने कहा, यूएसएस डीकैचर निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत रविवार को दक्षिण चीन सागर में नौवहन करता हुआ सुदूर स्प्रैटली द्वीपों की गेवन और जॉनसन चट्टानों के 12 समुद्री मील के दायरे में पहुंचा। सैन्य शब्दावली में इस संचालन को ‘नौवहन अभियान की आजादी’ कहते हैं।
उन्होंने कहा, 12 मील की दूरी आम तौर पर किसी भूमि का जलक्षेत्र माना जाता है। लेकिन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है। जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा जताते हैं। बीजिंग समूचे स्प्रैटली द्वीपों को अपना बताता है और अपने दावे पर जोर देने के लिए उसने इन द्वीपों पर कई सैन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है।
कमांडर क्रिस्टेंसेन ने कहा, अभियान के दौरान एक चीनी विध्वंसक पोत अमेरिकी पोत के करीब पहुंचा। यह एक असुरक्षित और गैर-पेशेवर व्यवहार था। उन्होंने कहा, चीनी युद्धपोत ने तेजी से कई बार आक्रामक तेवर दिखाया और अमेरिकी पोत को क्षेत्र से बाहर जाने की चेतावनी दी। चीनी युद्धपोत जब अमेरिकी पोत के 41 मीटर के दायरे में पहुंच गया, तब अमेरिकी पोत ने टकराव को रोकने का प्रयास किया।
अमेरिकी कदम का चीन ने किया सख्त विरोध
चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने द्वीपों और चट्टानों के पास से अमेरिकी युद्धपोत के गुजरने पर मंगलवार को कड़ा असंतोष और दृढ़ विरोध जताया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक बयान में कहा, अमेरिकी विध्वंसक डीकैचर ने 30 सितंबर को चीन सरकार की इजाजत के बिना चीन के नानशा द्वीपसमूह के द्वीपों और चट्टानों से लगे जलक्षेत्र में प्रवेश किया। बयान के अनुसार, अमेरिकी पक्ष ने बार-बार दक्षिण चीन सागर में चीनी द्वीप व चट्टानों के समीप अपने युद्धपोत भेजे, जिससे चीन की संप्रभुता व सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया। इसके साथ ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच संबंध को नुकसान पहुंचा और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता काफी कमजोर हुई। मंत्रालय ने कहा कि चीन की दक्षिण चीन सागर के द्वीपों और उससे सटे समुद्री क्षेत्र पर निर्विवाद संप्रभुता है।