टाट की पट्टी पर बैठकर कार्यकर्ताओं के साथ किया था भोजन

टाट की पट्टी पर बैठकर कार्यकर्ताओं के साथ किया था भोजन

भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री व राजनीति के अजात शत्रु पं.अटल बिहारी बाजपेयी 1971 में बहराइच दौरे के दौरान पूर्व विधायक जटाशंकर सिंह के आवास पर कार्यकर्ताओं के साथ भूमि पर बिछाई गई टाट की पट्टी पर बैठकर भोजन किया था। उस समय उन्हें पेट में अलसर की शिकायत थी, जिसकी वजह से उनका भोजन काफी हल्का रखा गया था। भोजन के दौरान जब कमण्डल से उन्हें व कार्यकर्ताओं को देशी घी परोसा गया, तो उन्होंने उसकी बहुत ही तारीफ की। यही नहीं अक्सर बहराइच या अन्य जगहों पर इसकी चर्चा करना नहीं भूलते थे।

उस समय भारतीय जनसंघ के वह सुप्रीमों थे। पूर्व विधायक जटाशंकर सिंह उस समय भारतीय जनसंघ के जिला सह मंत्री थे। अटल जी राजनैतिक यात्रा पर बहराइच आए थे। उनका भोजन जटाशंकर सिंह के यहां तय था। जटाशंकर सिंह के परिजनों को जानकारी दी गई कि अटल जी के पेट में अलसर की शिकायत है। इसलिए उनका भोजन काफी हल्का रहेगा। कार्यकर्ताओं के लिए भोजन अलग बनाया गया। जबकि अटल जी के लिए मूंग की दाल, लोकी की सब्जी, चावल बनवाया गया। यही नहीं भूमि पर टाट की पट्टी बिछाई गई।

अटल जी पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ ही खुद ही टाट की पट्टी पर बैठे। जब भोजन परोसा जा रहा था, तो एक कार्यकर्ता कमण्डल में देशी घी परोस रहा था। अपनी चिर परचित मुस्कराहट के लिए जाने जाने वाले अटल जी ने कमण्डल में घी परोसे जाने की काफी तारीफ की। यहां तक कि इसकी चर्चा अन्य जगहों पर भी की। 1974 में जटाशंकर सिंह अटल जी से मिलने लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे। यह बताते हुए जटाशंकर सिंह की आंखे छलछला आईं कि उनका स्नेह से भरा हृदय व मुस्कराहट उनके दिल में वश गई थी। अटल जी ने प्रेम से आशीर्वाद दिया था। उनके न रहने से देश को अपूर्ण क्षति हुई है।
पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा में जमकर बोले थे अटल जी

सन 1973 में विधान सभाओं का जिले में परिसीमन हुआ। महसी विधान सभा का सृजन हुआ। 1974 के विधान सभा चुनाव में पार्टी ने भारतीय जनसंघ की ओर से सुखदराज सिंह का प्रत्याशी बनाया। जबकि पूर्व विधान सभा शिवपुर से रामअचल सिंह सेंगर सिटिंग विधायक थे। उन्हें टिकट नहीं मिला, तो वे निर्दलीय खड़े हो गए।

इसकी जानकारी अटल बिहारी बाजपेयी को लगी, तो उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी सुखदराज सिंह की चुनावी कमान नानाजी देशमुख को सौंपी। वह खुद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए रामअचल सिंह सेंगर के ग्राम ललुही में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी सुखदराज सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुंचे। चुनावी जनसभा में अटल जी व नाना देशमुख ने जमकर भाषण दिया। अटल जी की जनसभा से सुखदराज सिंह चुनाव जीते। ऐसा राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है। महसी विधायक सुरेश्वर सिंह उस समय 12-13 साल के थे। अपने पिता सुखदराज सिंह की चुनावी जनसभा में वह भी मौजूद थे।

सुरेश्वर सिंह का कहना है कि अटल जी को उन्होंने पहली बार देखा। इसके बाद कई बार मुलाकात हुई। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वे अपने एसपीजी कमाण्डो, ड्राइवर व अन्य स्टॉफ से अभिवादन कर हाल-चाल पूछते थे। मिलनसार व्यक्तित्व के स्वामी का इस दुनिया से चला जाना दिल को आघात देने जैसा है।

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