कर्नाटक विधानसभा के चुनाव नतीजों और वहां बनी कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार के बाद भाजपा दक्षिण भारत के लिए नई कार्ययोजना पर काम शुरू कर रही है। लोकसभा चुनावों के लिए बनाई जा रही इस रणनीति में हर राज्य में बड़े और छोटे क्षेत्रीय दलों को साथ लाने का काम शुरू किया गया है। आंध्र प्रदेश में वाएएसआर कांग्रेस, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक, द्रमुक जैसे ताकतवर क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत की जा रही है, तो तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के साथ दोस्ताना लड़ाई की संभावनाएं टटोली जा रही है।
दक्षिण भारत में भाजपा अपनी मजबूत सांगठनिक टीम तैनात करने जा रही है। दो राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव और राम माधव के साथ आधा दर्जन केंद्रीय पदाधिकारी और केंद्र सरकार के मंत्री मिशन 2019 में जुटेंगे। दरअसल पूरे दक्षिण में कर्नाटक को छोड़कर अन्य राज्यों में वह बेहद कमजोर है। आंध्र प्रदेश में उसके मजबूत सहयोगी तेलुगु देशम से नाता टूटने से दिक्कतें बढ़ी हैं। दरअसल पार्टी कर्नाटक जीत कर अपने दमखम से दक्षिण में पैर फैलाने की योजना बना रही थी, लेकिन अब वह सहयोगी दलों के साथ मजबूत गठबंधन की तरफ बढ़ रही है।
सूत्रों के अनुसार आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम से नाता टूटने के बाद जगह मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाएएसआर कांग्रेस के साथ बात आगे बढ़ी है। गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में वाएएसआर ने 10 सीटें जीती थीं। यहां पर अन्य छोटे दलों के साथ भी तालमेल की कोशिश की जा रही है। तेलंगाना में कोई मजबूत सहयोगी न होने से भाजपा टीआरएस के साथ कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की स्थितियों पर भी विचार कर रही है।
हालांकि टीआरएस ने अभी इस बारे में कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। केरल में भाजपा ने स्थानीय संगठनों के साथ तालमेल किया हुआ है, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ के मुकाबले ताकत बनना बेहद मुश्किल है।