वैश्विक बैंकिंग एवं भुगतान तकनीक प्रदाता-एफआइएस द्वारा संचालित नवीनतम सर्वे में यह पता चला है कि भारतीय बैंकिंग ग्राहकों ने डिजिटल बैंकिंग को पूरे दिल से अपनाया है। वे भुगतान करने के लिए मोबाइल वालेट्स एवं वचुर्अल कार्डों को सबसे अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
डिजिटल ऐक्सस चूंकि भारत में परिपक्व स्तर पर पहुंच गया है, ऐसे में बैंक पिछले साल में अपने डिजिटल सामर्थ्य का विस्तार कर रहे हैं।
एफआइएस के चौथे परफॉर्मेंस अगेन्स्ट कस्टमर एक्सपेक्टेशंस (पीएसीई) अध्ययन में भारत में 1,000 से अधिक बैंकिंग ग्राहकों का सर्वे किया गया है। इस सर्वे में पाया गया कि 86 प्रतिशत भारतीय बैंकिंग ग्राहक अपने बैंक खाता जांचने और वित्तीय लेन-देन करने के लिए फाइनेंशियल मोबाइल एप्स का उपयोग करते हैं।
डिजिटल बैंकिंग को अपनाने में हो रही वृद्धि यह दशार्ती है कि बैंकों को ग्राहकों की जरूरतों को समझने की आवश्यकता है ताकि वे उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दे सकें जहां डिजिटल सबसे अधिक मायने रखता है।
एफआइएस पेस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत के बैंक अपने ग्राहकों की अपेक्षाओं को सफलतापूर्वक पूरा कर रहे हैं। वे उन्हें विभिन्न डिजिटल चैनलों एवं सुविधाजनक शाखा स्थानों की पेशकश करते हैं।
82 प्रतिशत भारतीय ग्राहक अपने प्राथमिक बैंक से संतुष्ट हैं और निजी क्षेत्र के बैंकों के ग्राहक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ग्राहकों की तुलना में ज्यादा संतुष्ट नजर आये। रिपोर्ट में यह भी पता चला कि बैंक रिवार्ड प्रोग्राम की पेशकश कर उनके संतुष्टि के स्तर को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
भारत में एफआईएस के प्रबंध निदेशक रामास्वामी वेंकटचेलम ने कहा, “इस साल का पेस अध्ययन स्पष्ट तौर पर दशार्ता है कि डिजिटल एक्सेस और मोबाइल फाइनेंशियल एप्लीकेशंस भारतीय ग्राहकों के लिए सबसे अधिक मायने रखते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था लेस कैश इकोनॉमी की तरफ बढ़ रही है, ऐसे में बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल सामर्थ्य मुहैया करा रहे हैं, ताकि वित्तीय गतिविधियों की व्यापक श्रृंखला को बढ़ावा दिया जा सके।
डिजिटलाइजेशन तेजी से विकसित हो रहा है, बैंकों को रणनीतिक ढंग से व्यक्तिगत ग्राहकों की जरूरतों एवं इच्छाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत होगी ताकि ग्राहकों को पूर्ण संतुष्टि मिले। पेस अध्ययन में एक स्पष्ट तस्वीर दी गई है कि भारत के बैंकों को कहां पर फोकस करना चाहिये और हम किस तरह बैंकिंग ग्राहकों की मांगों को पूरा करने के लिए सेवाओं/उत्पादों को उपलब्ध करा सकते हैं।”