देहरादून शहर से सटे जामुनवाला स्थित उत्तराखंड का एक मात्र एकादश मुखी (11 मुखी) हनुमान मंदिर भक्तों की श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है।
किंवदति है कि पवन पुत्र हनुमान इस कलियुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं।
हनुमान रुद्र (शिव) के 11 वें रुद्रावतार – रावण ने महामृत्युंजय का जाप करते हुए शिव के दस रुद्रों को प्रसन्न किया और दस सिर वाले रावण का वरदान प्राप्त किया। परंतु जब उसने शिव के वरदान का गलत उपयोग किया तो उसके विनाश को और श्री राम की सेवा के लिए शिव ने 11 वें रुद्रअवतार के रूप में हनुमान के रूप में जन्म लिया। मां जानकी से अजर अमर अविनाशी होने वरदान भी प्राप्त किया।
उत्तराखंड के द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी ले गए थे हनुमान जी
जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ से युद्ध करते समय मूर्छा आयी थी और सुषेन वैद्य की सलाह पर संजीवनी लेने हनुमान उत्तराखंड की पर्वत श्रृंखला के द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी लेने आये थे। हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने यहां आये तो कुछ पल जोशीमठ के ठीक ऊपर औली जो अब अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग रिजार्ट के नाम से प्रसिद्ध है। उस औली शिखर पर रुके थे। यहां से उन्हें द्रोणागिरी पर्वत दिखा, जो आज भी दिखता है। इसी के नाम से यहाँ पर संजीवनी शिखर हनुमान मन्दिर बना है, जो अपनी अदभुत मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध हैं।