दिल्ली हरियाणा बार्डर के पलवल की एक फैक्ट्री मे काम करने वाले बिहार के अलग अलग ज़िलो के 6 मज़दूर 5 साईकिले पर सवार होकर 7 मई की सुबह पलवल से निकले थे जो आज लखनऊ तो किसी तरह से पहुॅच गए लेकिन अभी इन्हे सैकड़ो किलो मीटर का सफर अपने घ्रो तक पहुॅचने के लिए और तय करना है। लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवें से होते हुए अपने पाॅच साथियों सासाराम बिहार के रहने वाले विपिन चैधरी, सीवान बिहार के रहने वाले उमेश कुमार, बक्सर बिहार के रहने वाले अरूण कुमार मुंगेर बिहार के रहने वाले सदानन्द पासवान के साथ लखनऊ के पारा पहुॅचे रोहतास सासाराम बिहार के रहने वाले सुनील चाौधरी से संवाददाता की मुलाकात हुई तो मज़दूरो के दर्द क पता चला । सुनील चाौधरी ने बताया कि लाक डाउन लागू होने के बाद कुछ दिन तो उन्हे खाने की परेशानी नही हुई लेकिन जब उनके पास पैसे खत्म हो गए तो मज़दूरो को न तो सरकार ने पूछा और न ही फैक्ट्री मालिक ने ही उनकी सुध ली। उन्होने बताया कि जब मज़दूरो के भूखे मरने की नौबत आ गई तो उनके सामने एक ही विकल्प था कि वो अपने घरो की तरफ रवाना हो जाए लेकिन सैकड़ो किलो मीटर का सफर पैदल चल कर तय करना मौत को दावत देने के समान था इस लिए सुनील और उनके चार साथियो ने बैंक के ज़रिए अपने अपने घरो से पैसा मंगवाया और पाॅच नई साईकिले खरीदी एक साईकिल की कीमत साढ़े चार हज़ार थी। पाॅच साईकिलो पर सवार होकर 7 मई की सुबह सभी 6 मज़दूर अपने अपने घरो के लिए पलवल से चल दिए । सैकड़ो किलो मीटर साईकिल चलाने से पैरो के दर्द से परेशान सुनील ने बताया कि आगरा मे उन्हे पुलिस ने रोक लिया और डंडो से पिटाई कर वापस लौटा दिया लेकिन ये सभी मुसाफिर ने मुख्य सड़क से न आकर गाॅव के रास्ते से होकर आगरा पार किया और दिन रात साईकिले चला कर आज लखनऊ पहुॅच गए। इनकी साईकिलो के कैरियरो मे बैग फसें हुए थे बैग मे कुछ कपड़े और खाने के लिए रास्ते मे लोगो के द्वारा दिए गए बिस्कुट के पैकेट थे। सुनील अपने सभी साथियों के साथ शनिवार की दोपहर लखनऊ से प्रस्थान कर गए है । सुनील ने ये भी बताया कि रास्ते मे उनकी साईकिलो की हवा कम न हो इस लिए उन्होने पाॅच नई साईकिलो के साथ एक हवा भरने के लिए पम्प और पंचर बनाने का सामान खरीद लिया है। इन मजबूर मुसाफिरो ने बताया कि रास्ते तमाम लोगो ने उन्हे खाना पानी उपलब्ध कराया है ।
