लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने को लेकर कांग्रेस में मतभेद दिखने लगे हैं। पार्टी के कई नेता अविश्वास प्रस्ताव के समय को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इन नेताओं का तर्क है कि इससे सरकार को अधिक फायदा होगा। वहीं, कई नेताओं की दलील है कि प्रस्ताव पर चर्चा से सरकार पर दाग लगेगा।
अविश्वास प्रस्ताव के वक्त को लेकर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेताओं की दलील है कि बहस शुक्रवार शाम खत्म हो जाएगी। इसके बाद सोमवार से पार्टी किन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरेगी। जबकि संसद का मानसून सत्र 10 अगस्त तक है। ऐसे में सत्र के अंतिम दिनों में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए था।
इसके साथ इन नेताओं का यह भी कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देंगे। इसके बाद सोमवार तक मीडिया में उनका भाषण छाया रहेगा। जबकि सदन ने अंदर उठाए गए विपक्ष के मुद्दों को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं मिलेगी। विपक्षी सदस्यों के मुद्दे सिर्फ लोकसभा के रिकॉर्ड तक सीमित रहेंगे।
कांग्रेस का बड़ा तबका अविश्वास प्रस्ताव के वक्त को लेकर सवाल उठा रहे नेताओं से सहमत नहीं है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सभी विपक्षी दलों से चर्चा के बाद निर्णय लिया गया है। जहां तक सोमवार से कामकाज का सवाल है, अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने के बाद भी कई मुद्दे हैं, जिनको लेकर सरकार को सदन में घेरा जा सकता है। देश बहुत बड़ा है, यहां हर वक्त कुछ न कुछ होता रहता है।
विपक्ष की कड़ी परीक्षा
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दलों की ताकत एनडीए के संख्या बल से आधी भी नहीं है। ऐसे में यह विपक्षी एकजुटता बनाम एनडीए के बीच मुकाबला है। सदन में मतदान की नौबत आने पर यह भी साफ हो जाएगा कि कौन किधर खड़ा है और कौन दोनों पक्षों से समान दूरी पर है। एनडीए को भी अपने सहयोगी दलों को समझने का मौका मिलेगा। हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बीते दिनों सभी प्रमुख सहयोगी दलों के प्रमुखों के साथ उनके घर जाकर मुलाकात कर नाएनडीएी दूर कर रिश्ते बेहतर किए हैं।
क्या है अंकगणित?
सदन में मौजूदा सांसद 534
बहुमत का आंकड़ा 268
एनडीए 315
इनका रुख साफ नहीं 72
यूपीए और अन्य 147
कमजोर विपक्ष, सरकार को खतरा नहीं
अन्नाद्रमुक-37, बीजद-20, टीआरएस-11, इनेलो-02, पीडीपी-01, पप्पू यादव-01 समेत 72 सांसद ऐसे हैं जो दोनों पक्षों से बराबर दूरी बनाए हुए हैं। यह अगर विपक्ष के साथ नहीं जाते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव के साथ खड़े कांग्रेस, तेलुगुदेशम, माकपा, भाकपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, आप, राजद समेत एक दर्जन से ज्यादा दलों के पास 147 सांसदों का ही समर्थन रह जाता है, जो एनडीए से बहुत पीछे है। ऐसे में सरकार को कोई खतरा नहीं दिखता है।