भारतीय नागरिक ने अमेरिका में नौकरी के दौरान की एक खोज

लखनऊ। एकल विद्यालय एक शिक्षक वाले विद्यालय हैं जो विगत कई वर्षो से भारत के उपेक्षित और आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में एकल विद्यालय फाउंडेशन द्धारा संचालित किए जा रहे हैं। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे रहे हैं। भारत के वर्तमान में 65 हजार गांवों के 26 लाख वनवासी बच्चों को एकल विधालय फाउंडेशन मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यहां बुनियादी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गो को स्वास्थ्य, विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है।
भारतीय नागरिक विजय कुमार तिवारी जो कोलकाता के रहने वाले हैं वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जिनकी नौकरी विगत कुछ वर्ष पहले अमेरिका में लग गई नौकरी के दौरान वह अपने पूरे परिवार को लेकर वहां अमेरिका मे ही बस गए लेकिन भारत को छोड़ कर अमेरिका मे बसने बावजूद भी उन्होंने भारत विकास में एकल विधालय की दर्दनाक स्थिति को देखते हुए उनके दिलो.दिमाग में एक सपना हमेशा रहता था वह जब भी कहीं बैठते तो हमेशा सोचा करते थे विकास कोई एकल विद्यालयों के लिए हम सॉफ्टवेयर तैयार कर पाते उनकी सोंच आखिरकार हकीकत मे बदल गई और उन्होने अपनी जदो जेहद से अपने सपने को साकार कर दिया और इन्होंने बड़ी मेहनत और लगन से एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जिसका नाम है एम आई एस । इस सॉफ्टवेयर को कोई भी आसानी से ऑपरेट कर सकता है यह सॉफ्टवेयर ऑटोमेटिक ढंग से अलग.अलग सोर्स से डाटा कलेक्ट कर रिपोर्ट करने में सक्षम है इस हिसाब से इस सॉफ्टवेयर के तहत आगे की रणनीति बनाने में आसानी हो सकती है, विजय तिवारी पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है उनके द्धारा बनाया गए एम आई एम सॉफ्टवेयर की मदद से भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अलग.अलग देशों के लोग एकल विद्यालयों की प्रगति में दान देते हैं । एम आई एम सॉफ्टवेयर की मदद से भारत में पचास हज़ार से ज्यादा एकल विद्यालयों का संचालन बहुत आसानी से हो रहा है जिसमें करोड़ों की संख्या में गरीब असहाय दलित पीड़ित जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। शिक्षा के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास का भी काम किया जा रहा है । विजय तिवारी द्धारा बनाए गए सॉफ्टवेयर की मदद से एकल विद्यालय आगे की रणनीति तैयार करते हैं । एम आई एम सॉफ्टवेयर इतना ज्यादा उपयोगी है कि दानदाता जब चाहे जहां चाहे वहां से कार्यकर्ताओं की सैलरी भी देख सकते है इस सॉफ्टवेयर के आ जाने से एकल विद्यालयों में हो रही काफी दिक्कतों को सुधारा जा सकता है।

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