वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मोबाइल एप का विकास किया है जो स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ चुनने में आपकी मदद कर सकता है। फूडस्विच नामक यह एप ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ और अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। यह फूडस्विच भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और हांगकांग समेत कई देशों में पहले ही लॉन्च हो चुका है। मोबाइल स्क्रीन पर एक टैप के साथ उपयोगकर्ता पैक्ड किए गए भोजन के बारकोड को स्कैन करने के साथ ही उस खाद्य पदार्थ की गुणवत्त की रेटिंग करने के अलावा अन्य स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थों की पहचान भी कर
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खुद में खोए रहने वाले बच्चों का इलाज करेगा विशेष रोबोट
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा गहन अध्ययन करने वाला नेटवर्क विकसित किया है जिसे रोबोट से जोड़ा जा सकता है। इससे जुड़ा रोबोट खुद में खोए रहने वाले बच्चों से उपलब्ध डाटा के आधार पर बातचीत कर उन्हें समझने की कोशिश करेगा। खुद में खोए रहने की बीमारी एक मानसिक स्थिति है जो दिमाग के विकास से संबंधित है। इसमें इंसान की समझ और उसकी प्रतिक्रिया देने की क्षमता प्रभावित होती है। गहन अध्ययन से जुड़े बच्चों के रोबोट एनएओ प्रत्यके बच्चे की हरकत और उसकी रुचि का आकलन करते हैं। यह अध्ययन ऐसे 35 बच्चों पर किया गया है। गहन
प्रसव के दौरान महिलाओं का ख्याल रखेगी नई दवा
काबेर्टोसिन दवा का नया फार्मूला प्रसव के बाद अधिक मात्रा में खून को बहने से रोकने के लिए प्रभावी व सुरक्षित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है इससे हजारों महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 10 देशों में हुए नैदानिक परीक्षण में यह बात सामने आई है। इन देशों में भारत भी शामिल है। वर्तमान में डब्ल्यूएचओ बच्चे के जन्म के बाद अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए पहली पसंद के तौर पर ऑक्सीटोसिन की सिफारिश करता है। हालांकि, ऑक्सीटोसिन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर स्टोर और ट्रांसपोर्ट
ज्यादा नमक खाने से हो सकती है मृत्यु
ब्रिघम और महिला अस्पताल द्वारा प्रकाशित किए गए एक शोध में खुलासा हुआ है कि आहार में नमक (सोडियम) का ज्यादा सेवन करने से मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। शोधकर्ता नैंसी कुक ने कहा कि शरीर में सोडियम की मात्रा मापना काफी कठिन है। क्योंकि यह छिपा हुआ होता है और आपको पता नहीं लग पाता कि आप इसका कितना सेवन कर रहे हैं। जिससे इसके अत्यधिक सेवन की संभावना बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि, हालांकि शरीर में सोडियम मापने के कई तरीके हैं, लेकिन यूरीन (पेशाब) के नमूने का अध्ययन करना सबसे सही तरीका है।
भारत में तेजी से बढ़ रहा स्ट्रोक का खतरा
भारत में हर साल एक अनुमान के मुताबिक 18 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। इनमें से लगभग 15 प्रतिशत मामले 30 और 40 वर्ष से ऊपर के लोगों को प्रभावित करते हैं। स्ट्रोक या सेरेब्रो वास्कुलर एक्सीडेंट (सीवीए) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क में अचानक रक्त की कमी या मस्तिष्क के भीतर रक्तस्राव होता है, जिसके परिणामस्वरूप न्यूरोलॉजिकल फंक्शन खराब होने लगता हैं। मोटापा, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मदिरा पान, मधुमेह और पारिवारिक इतिहास आदि कारक स्ट्रोक की प्रमुख वजह बनते हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि स्ट्रोक वाले किसी भी व्यक्ति को
लौकी का जूस पीने से पुणे में महिला की मौत
पुणे में लौकी का जूस पीने से 41 साल की स्वस्थ महिला की मौत होने की सनसनीखेज खबर सामने आई। महिला कोई बीमारी नहीं और न किसी बीमारी पहले से इलाज चल रहा था। लौकी का जूस पीने से महिला की मौत के बाद लोग सकते में हैं। 12 जून को खराब हुई थी तबीयत- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 जून को सुबह महिला ने जब एक गिलास लौकी का जूस पिया तो इसके आधे घंटे बाद ही उसे उल्टी दस्त शुरू हो गए। इस उसे पास के अस्पताल में ले जा गया लेकिन अगले दो-दिन में उसकी हालत और