केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य से संबंधित एक नीति का मसौदा तैयार किया है जिसमें सभी गर्भवती महिलाओं की अनिवार्य जेनेटिक स्क्रीनिंग का प्रस्ताव है ताकि थैलेसेमिया और एनीमिया जैसे आनुवांशिक विकारों से बचाया जा सके और ऐसे रोगियों की व्यापक देखभाल की आधुनिक सुविधाएं विकसित की जा सकें। इस नीति में गरीब मरीजों के लिए ल्यूकोसाइट फिल्टर और अन्य दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराये जाने की भी वकालत की गयी है। मसौदा नीति में ‘मेक इन इंडिया की तर्ज पर देश में उपकरणों और रसायनों के उत्पादन को बढ़ावा देने की भी वकालत की है। ”पॉलिसी फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ
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नाश्ते में दूध पीने से कंट्रोल रहता है खून में शुगर का लेवल:
नाश्ते में उच्च प्रोटीन वाला दूध पीने से मधुमेह रोगियों को रक्त में शर्करा को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है। कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ ग्वेल्फ और यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के अनुसंधानकर्ताओं ने दिखाया है कि नाश्ते में बदलाव के जरिये टाइप टू मधुमेह के नियंत्रण में मदद मिलती है। समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, अनुसंधान के परिणाम के मुताबिक नाश्ते के दौरान लिये गए दूध से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा में कमी आती है। इसमें साथ ही कहा गया कि उच्च प्रोटीन वाला दूध सामान्य प्रोटीन वाले डेयरी उत्पादों की तुलना में खाने के बाद ग्लूकोज की
इन 6 चीजों से दोस्ती बदल देगी जिंदगी
खाने के साथ अच्छा रिश्ता अच्छी सेहत की नींव होता है। हेल्दी खाना खाने से जिंदगी की आधी से ज्यादा परेशानी तो यूं ही हल हो जाती है। मगर भागदौड़ भरी जिंदगी और खाने के मामले में ना-नुकुर रोजमर्रा की लाइफस्टाइल से पोषण को दूर कर देती है। मगर पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि सेहत का हाल सुधारने के लिए इन 6 खाने की चीजों से दोस्ती करना अच्छा होगा। यह पेट को दुरुस्त रखने के साथ ही जरूरी पोषक तत्व भी देती हैं। स्वाद में अगर ज्यादा अच्छा न लगे, तब भी इन चीजों को अपने खानपान का
अचानक घटने लगे वजन तो इन 10 वजहों पर दें ध्यान
आप डाइटिंग या वजन घटाने के लिए वर्कआउट भी नहीं कर रहे तब भी तेजी से आपका वजन घटता जा रहा है। यह खुश होने की नहीं चिंता की बात है क्योंकि बिना किसी कोशिश के वजन घटना और थकान बहुत सी बीमारियों के दो आम लक्षण हैं। इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। कोकिलाबेन धीरूभाई हॉस्पिटल की चीफ डाइटीशियन भक्ति सामंत का कहना है कि बिना जिम जाए और खानपान में बदलाव किए बिना दो से तीन महीने में व्यक्ति का वजन 5-6 किलो तक कम हो सकता है। मगर, वजन का तेजी से घटना गंभीर बीमारी का संकेत
रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है ये नई एचआईवी थेरेपी
एचआईवी से लड़ने के लिए एक नई दवा की खोज हुई है। दावा है कि इस नई दवा से इस बीमारी के फैलने पर रोक लगेगी और ये एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढे़गी। येल यूनिवर्सिटी के मुताबिक ये दवा पहले से चल रहे उपचार में शामिल की जा सकती है और उन लोगों को फायदा पहुंचा सकती है जिनके उपचार के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है। बहुत से एचआईवी पीड़ितों में दवाएं विषाणुओं को खत्म करने में नाकाम हो जाती हैं। इससे बीमारी की
जानलेवा बीमारियों का पता लगा लेगा ये ब्लड टेस्ट
अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसकी मदद से पांच जानलेवा बीमारियां का उनके लक्षण दिखने से पहले ही पता लगाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक से जन्म के समय ही उस बीमारी की पहचान कर ली जाएगी जिसकी आगे जाकर विकसित होने की आशंका है। दशकों पहले बीमारी की पता चलने से उसे मानव शरीर में पनपने से रोका जा सकेगा। इस तकनीक को ‘पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग’ नाम दिया गया है। ‘पॉलीजेनिक रिस्क स्कोरिंग’ तकनीक के जरिए हार्ट अैटक से लेकर ब्रेस्ट कैंसर समेत उन पांच जानलेवा बीमारियों का
75 फीसदी आबादी न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित
देश में बहुत बड़ी आबादी न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित है। न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम कीटाणु या संक्रमण द्वारा होने वाली बीमारी नहीं बल्कि जीवनशैली व आहार संबंधी आदतों के कारण होने वाली बीमारियों का एक संयोजन है। न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित लोग मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल संबंधी रोगों जैसे गैर-संक्रमणीय बीमारियों से पीड़ित होते हैं। न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम का कारण पारंपरिक आहार व जीवन शैली में बदलाव है : हैदराबाद के सनशाइन अस्पताल के बरिएट्रिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. वेणुगोपाल पारीक ने कहा कि न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम पारंपरिक आहार और जीवनशैली में आए बदलाव के कारण होने वाली
अगर मां बनने की तैयारी में हैं तो इन पांच चीजों का ध्यान रखें
गर्भावस्था सबसे मुश्किल समय होता है। इस दौरान रखा गया ध्यान मां और बच्चे दोनों को जीवनभर की खुशियां दे जाता है। कुछ बातों का ख्याल रखकर आप इस मुश्किल समय को भी अच्छी यादों में बदल सकते हैं। इसके लिए जरूरी है अच्छा खानपान, निश्चित वजन और पर्याप्त आराम। शोधकर्ताओं की मानें तो तदरुस्त बच्चा और सुरक्षित डेलेवरी के लिए अगर इन पांच चीजों पर विशेष नजर रखें तो आपका यह समय भी खुशनुमा बीतेगा। तनाव से बचें इजरायल के वेजमान इंस्टीट्यूट में हुए अध्ययन में बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं के ज्यादा तनाव लेने से उनके बच्चों
पिता का धूम्रपान बच्चों में कैंसर की वजह,
धूम्रपान करने से न सिर्फ उस व्यक्ति को कैंसर का खतरा होता है बल्कि उसके होने वाले बच्चे में भी यह कैंसर की वजह बन सकता है। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के एनोटॉमी विभाग की प्रोफेसर रीमा दादा के शोध में सामने आई है। शोध के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं को ऑक्सीडेटिव डीएनए क्षति पहुंचती है। इस वजह से उनके बच्चों को कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शोध में डॉक्टर ने 131 पिता और आरबी कैंसर जीन वाले बच्चों के नमूने एकत्र किए। इसके अलावा 50 स्वस्थ जोड़ों के भी नमूने एकत्र किए।
प्रोबायोटिक का अत्याधिक इस्तेमाल मानसिक बीमारियों का बनता है कारण
प्रोबायोटिक का अधिक इस्तेमाल अस्पष्टता और आत्मविस्मृति जैसी कई मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके साथ ही ये तेजी से पेट को फुला देता है। इसलिए भारतीय मूल के वैज्ञानिक सहित कुछ वैज्ञानिकों ने बिना डॉक्टर के परामर्श के प्रोबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है। प्रोबायोटिक क्या होते हैं प्रोबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया और यीस्ट होते हैं, जो आपके पाचन में सहायक होते हैं। आमतौर पर लोग बैक्टीरिया नाम से बीमारी फैलाने वाले जिवाणु समझते हैं, लेकिन हमारे शरीर में अच्छे और बुरे दोनों तरह के जिवाणु होते हैं। आजकल प्रोबायोटिक सप्लीमेंट भी बाजार में उपलब्ध हैं।